Vrat Katha Sangrah

8.1 12

v3.0 by Nisheeth Kaushal

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關於 Vrat Katha Sangrah

Vrat Katha Sangrah(包名:com.spiritual.vratkatha)開發者是Nisheeth Kaushal,Vrat Katha Sangrah的最新版本3.0更新時間為2013年08月15日。Vrat Katha Sangrah的分類是圖書與參考資源。您可以查看Vrat Katha Sangrah的開發者下的所有應用。目前這個應用免費。該應用可以從APKFab或Google Play下載到Android 2.1+。APKFab.com的所有APK/XAPK文檔都是原始文檔並且100%安全下載的資源。
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करवा चौथ
करवा चौथ व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन किया जाता है | किसी भी जाती, सम्प्रदाय एवं आयु वर्ग की स्त्रियों को ये व्रत करने का अधिकार है | यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है | यह पर्व मुख्यतः भारत के उत्तर राज्यों जैसे की पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि में मनाया जाता है | करवा चौथ व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होकर चंद्रमा दर्शन के बाद सम्पूर्ण होता है | यह व्रत सुहागिन स्त्रियां अपना पति की रक्षार्थ, दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भालचंद्र गणेश की पूजा की जाती है | शास्त्रों के अनुसार यह व्रत अत्यंत सौभाग्य दायक है | इस दिन चन्द्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है | ज्योतिषीय दृष्टि से अगर देखे तो चन्द्रमा मन के देवता है | तात्पर्य है की चन्द्रमा की पूजा करने से मन पे नियंत्रण रहता है और मन प्रसन्न रहता है | इस दिन बुजुर्गो, पति एवं सास ससुर का चरण स्पर्श इसी भावना से करें की जो दोष और गलतियाँ हो चुकी है वो आने वाले समय में फिर से ना हो एवं अपने मन को अच्छे कर्म करने हेतु प्रेरित करें |
व्रत विधि
दिन : कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी |
मान्यता : यह व्रत सुहागिन स्त्रियां अपना पति की रक्षार्थ, दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है |
करवा : काली मिट्टी में चासनी मिलकर अथवा ताम्बे के बने हुए १० – १३ कर्वो का उपयोग किया जाता है |
नैवेध : शुद्ध घी में आटे को सेंककर शक्कर मिलाकर लड्डू बनाये जाते है |
पूजन : इस दिन भगवान गणेश, चन्द्रमा, शिव-पार्वती, एवं स्वामी कार्तिकेय का पूजन किया जाता है | इस दिन ब्रम्ह मुहुर्त में उठ कर स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहन कर करवा की पूजा की जाती है | बालू की वेदी बनाकर उसपे गणेश, चन्द्रमा, शिव-पार्वती, कार्तिकेय स्वामी की स्थापना करे | अगर इन देवी – देवतओं की मूर्ति ना हो तो सुपारी पर नाड़ा बांधकर ईश्वर की भावना रखकर स्थापित करें | करवों में लड्डू का नैवेध रखकर अर्पित करें | लोटा, वस्त्र व एक करवा दक्षिण दिशा में अर्पित कर पूजन का समापन करें |
पूजन के लिए निम्न मंत्रो से ईश्वर की आराधना करें :
१. गणेश - ॐ गणेशाय नमः
२. चंद्रमा - ॐ सोमाय नमः
३. शिव - 'ॐ नमः शिवाय
४. पार्वती - ॐ शिवायै नमः
५. कार्तिकेय स्वामी - ॐ षण्मुखाय नमः
करवा चौथ व्रत कथा पड़े एवं सुने | रात को चन्द्रमा के उदित होने पर पूजन करें एवं चन्द्रमा का अर्ध्य करें | इसके पश्चात् स्त्री को अपनी सासुजी को विशेष करवा भेंट कर आशीर्वाद लें | इसके पश्चात् सुहागिन स्त्री, गरीबों व माता पिता को भोजन कराएँ | गरीबों को दक्षिणा दे | इसके पश्चात् स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य भोजन करें |
व्रत कथा – १
एक बार एक साहूकार की सेठानी सहित उसकी सात बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा । रात्रि को साहूकार के सातो लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा क्योंकि वो अपनी बहन के भोजन के पश्चात् ही भोजन करते थे । इस पर बहन ने ये कहकर मन कर दिया की “अभी चाँद नहीं निकला है”, उसके निकलने पर अर्घ्य देकर ही भोजन करूँगी।
बहन की बात सुनकर भाइयों ने नगर के बाहर नकली चाँद बनाकर अपनी बहन को छलनी लेकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन को चाँद को अर्घ्यन देकर भोजन जीमने को कहा ।
इस प्रकार सातो भाइयों ने अपनी बहन का व्रत भंग कर दिया । लेकिन इसके बाद उसका पति बीमार रहने लगा और घर का सब कुछ उसकी बीमारी में लग गया।
जब उसे अपने किए हुए दोषों का पता लगा तब उसने प्रायश्चित किया और गणेश जी की पूजा - अर्चना करते हुए सम्पूर्ण विधि-विधान से चतुर्थी का व्रत करना आरंभ कर दिया।
व्रत कथा – २
भगवान श्री कृष्ण द्वारा द्रौपदी को करवा चौथ व्रत का महत्व बताया गया था | एक बार की बात है जब पांडवो के बनवास के दौरान अर्जुन तपस्या करने बहुत दूर पर्वतों पर चले गए थे | काफी दिन बीत जाने के बाद भी अर्जुन की तपस्या समाप्त नहीं होने पर द्रौपदी को अर्जुन के चिंता सताने लगी | श्री कृष्ण अंतर्यामी थे वो द्रौपदी की चिंता का कारण समझ गए | तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत-विधान का महत्व बताया | द्रौपदी ने जब सम्पूर्ण विधि – विधान से करवा चौथ का व्रत किया तब द्रौपदी को इस व्रत का फल मिला और अर्जुन सकुशल पर्वत पर तपस्या कर शीघ्र लौट आये |
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